संदीप थपलियाल, अमर उजाला, श्रीनगर
Updated Thu, 14 May 2020 11:28 AM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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एक तो लॉकडाउन, उस पर बेरोजगारी और आर्थिक हालात खराब। ऐसे में घर पहुंचने के लिए एक युवक ने साइकिल पर सफर का जोखिम उठाया। हरियाणा के रेवाड़ी से 530 किलोमीटर का सफर तय कर वह चार दिन बाद बुधवार को अपने गांव कोटी (चमोली) पहुंचा।युवक वीरेंद्र ने बताया कि वह पिछले सात साल से रेवाड़ी जिले में एक स्कूल की कैंटीन में काम कर रहा था। लॉकडाउन के चलते काम बंद होने पर वेतन भी बंद हो गया।मकान मालिक को किराया देने के बाद भूखे रहने की नौबत आई तो उसने गांव वापस जाने का विचार बनाया। पास बनवाने के लिए हजारों रुपये देकर गुरुग्राम के चक्कर काटे, लेकिन नहीं बना। ऐसे में उन्होंने साइकिल पर निकलने का निश्चय किया।
वीरेंद्र के मुताबिक वह बीती 10 मई की शाम रेवाड़ी से निकला था और ऋषिकेश होते हुए 12 मई की रात वह श्रीनगर पहुंचा। यहां पुलिस बैरियर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने युवक को रोक लिया। उसे बेहाल देख उन्होंने रात में उसे भोजन कराकर वहीं ठहरा दिया।इससे पहले भी उसे कई जगह रोका गया, जहां हर जगह उसने मजबूरी बताई तो पुलिसकर्मियों का दिल पसीज गया। बुधवार सुबह वह साइकिल से अपने गांव चमोली जिले के कोटी (कर्णप्रयाग ) रवाना हुआ।कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने बताया कि युवक की मेडिकल जांच की गई है। वह स्वस्थ है। पास बनवाकर युवक को चमोली के लिये भेजा गया था। प्रशासन ने उसे क्वारंटीन किया है।
सार
चमोली जिले के कोटी गांव का रहने वाला है वीरेंद्र
हरियाणा में कर रहा था एक कैंटीन में काम
विस्तार
एक तो लॉकडाउन, उस पर बेरोजगारी और आर्थिक हालात खराब। ऐसे में घर पहुंचने के लिए एक युवक ने साइकिल पर सफर का जोखिम उठाया। हरियाणा के रेवाड़ी से 530 किलोमीटर का सफर तय कर वह चार दिन बाद बुधवार को अपने गांव कोटी (चमोली) पहुंचा।
युवक वीरेंद्र ने बताया कि वह पिछले सात साल से रेवाड़ी जिले में एक स्कूल की कैंटीन में काम कर रहा था। लॉकडाउन के चलते काम बंद होने पर वेतन भी बंद हो गया।
मकान मालिक को किराया देने के बाद भूखे रहने की नौबत आई तो उसने गांव वापस जाने का विचार बनाया। पास बनवाने के लिए हजारों रुपये देकर गुरुग्राम के चक्कर काटे, लेकिन नहीं बना। ऐसे में उन्होंने साइकिल पर निकलने का निश्चय किया।
युवक की मेडिकल जांच की गई
वीरेंद्र के मुताबिक वह बीती 10 मई की शाम रेवाड़ी से निकला था और ऋषिकेश होते हुए 12 मई की रात वह श्रीनगर पहुंचा। यहां पुलिस बैरियर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने युवक को रोक लिया। उसे बेहाल देख उन्होंने रात में उसे भोजन कराकर वहीं ठहरा दिया।इससे पहले भी उसे कई जगह रोका गया, जहां हर जगह उसने मजबूरी बताई तो पुलिसकर्मियों का दिल पसीज गया। बुधवार सुबह वह साइकिल से अपने गांव चमोली जिले के कोटी (कर्णप्रयाग ) रवाना हुआ।कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने बताया कि युवक की मेडिकल जांच की गई है। वह स्वस्थ है। पास बनवाकर युवक को चमोली के लिये भेजा गया था। प्रशासन ने उसे क्वारंटीन किया है।
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युवक की मेडिकल जांच की गई